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स्वर्ग में देवराज इंद्र के दरबार में छिड़ गई बहस कि बांकेलाल एक दुष्ट मानव है या एक नेक मानव है| इस बहस का हिस्सा बन गए बेदी जी भी| सभी देवता दो दलों मे विभाजित हो गए जो बेदी जी से पूछने लगे कि उनकी राय में किसे विशालगढ़ का राजा बनना चाहिए| बेदी जी देवताओं के इस विवाद मे बुरी तरह फंस गए| तभी नारद जी ने आ कर सूचना दी कि एक दैवीय योग के कारण अब बांकेलाल का राजा बनना निश्चित हो गया है| तब बेदी जी शिव कि कृपा से चमत्कारी शरीर ले कर जा पहुंचे विशालगढ़ बन कर बांकेलाल के चाचा बनाने के लिए उसे विशालगढ़ का राजा|
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गुरु को पहुंची चोट का दर्द वही समझ सकता है जिसने अपने गुरु को अपना खुदा माना हो| जिसने गुरु को खुदा माना हो वही उसकी शिक्षा को इबादत समझ कर बंद आँखों से लक्ष्य को बेधना सीख सकता है और ऐसे लक्ष्य बेधक डोगा के गुरु काली को किसी ने गोली मार दी है और कहा यह जा रहा है कि गुरु काली ने आत्महत्या कर ली है| अजब चक्रव्यूह है| वो काली चाचा जो गोलियों कि बारिश में से बिना किसी आड़ लिए बच निकल जाए| आखिर ऐसा कौन सूरमा आ गया जिसने उस धुरंधर को गोली मार दी| इस पर विश्वाश ना करें तो इस पर कैसे विश्वाश करें कि लाखों को आत्मविश्वाश का पाठ पढाने वाला, डोगा जैसे ज्वालामुखी के ईंधन का एक स्त्रोत्र आत्महत्या कर सकता है| असंभव है यह| गूढ़ पहेली है| और इसी पहेली को बूझने में फंसा हुआ है डोगा|